विनय पुष्करणा
योगाचार्य विनय पुष्करणा | |
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ਵਿਨਯ ਪੁਸ਼ਕਾਰਣਾ | |
![]() विनय पुष्करणा एक सरकारी दफ़तर मे बैठे हुए। | |
Pronunciation | विनय पुष्करणा |
Born | सौरव March 24, 1988 बटाला |
Nationality | भारतीय |
Other names | लेखक पंडित |
Education | स्नातकोतर |
Occupation |
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Years active | 2012–present |
Employer | विबुध |
Organization | योग फ्रन्ट संस्था |
Known for | योग फ्रन्ट संस्था,विबुध |
Style | संस्थापक |
Height | "5 ft 8 in" |
Title |
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Political party | निष्पक्ष |
Movement | सामाजिक, राजनीतिक (गैर-पार्टी), कलात्मक, दार्शनिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, आदि। |
Board member of | |
Spouse(s) | (योगाचार्य) श्रीमति पूजा तिवारी (36) |
Children | 1
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Parents |
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Family |
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Awards |
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Website | viney.pushkarna.ooo |
Notes | |
शुद्ध भारतीय |
विनय पुष्करणा ({Viney Pushkarna} ਵਿਨਯ ਪੁਸ਼ਕਰਣਾ) एक भारतीय योग शिक्षक एवं योग चिकित्सक हैं, जिन्होंने योग के वास्तविक स्वरूप को बनाए रखते हुए उसके प्रचार और विश्वसनीयता पर कार्य किया और कर रहे हैं। विनय अक्सर लोगों को योग के वास्तविक गुणों को बताते हुए लोगों को वास्तविक योग को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं और एक लंबे समय से योग के अंदर हो रहे अनैतिक बदलावों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। जिसके लिए उनके द्वारा समय समय पर जन जागृति शिविर भी आयोजित किए गए और संगोष्टी भी करवाई गईं। वह कई लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से योग करवा चुके हैं जिसमे उन्होंने पाठशालों मे भी कई संगोष्ठियों का आयोजन किया है। वह भारत के कादियां क्षेत्र से आते हैं जो की पंजाब प्रांत के जिला गुरदासपुर का एक छोटा सा नगर है।
जन्म के बारे मे
योगाचार्य विनय पुष्करणा का जन्म 1988 मे कादियां नगर के रहने वाले एक पुष्करणा ब्राह्मण परिवार मे हुआ। उनके पिता एक पुस्तक विक्रेता हैं जिनका नाम श्री सोम नाथ पुष्करणा है और माता सेवनिर्वित सरकारी शिक्षिका हैं जिनका नाम विनोद पुष्करणा है। वह अपने मातापिता के छोटे बेटे हैं तथा उनके बड़े भाई का नाम श्री राजन पुष्करणा है। दोनों भाइयों मे कुछ 6 सालों का फाँसला है।
शिक्षा के बारे मे
शैक्षिक जीवन का आरंभ दयानंद मॉडल स्कूल (जो अब दयानन्द अंगलोवेदी सीनियर सेकन्डेरी स्कूल के नाम से जाना जाता है) से किया जहां वह कक्षा नर्सरी से ले कर कक्षा छठी तक हिन्दी माध्यम मे पढ़े, इस दौरान प्रधानाचार्य जोशी जी द्वारा उनको पुरस्कृत भी किया गया। इसके पश्चात उन्होंने आपनी अग्रिम शिक्षा आदर्श विद्या मंदिर पाठशाला मे की जहां उन्होंने कक्षा सात से कक्षा दसवीं अंग्रेजी माध्यम मे सम्पन्न की। उसके उपरांत उन्होंने अपनी सीनियर सेकन्डेरी जीव विज्ञान से सम्पन्न कर योग विषय मे डिप्लोमा भारत के प्रतिष्ठित आयुर्वेद संस्थान ऋषिकुल सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज, हरिद्वार से पूर्ण किया। उसके पश्चात उन्होंने एक सरकारी विश्वविधालय से योग विषय मे ही योग विज्ञान से अपनी स्नातक पूर्ण की और फिर योग मे ही स्नातकोतर पूर्ण कर योग मे अपनी आजीविका आरंभ की। इसके इलावा उन्होंने समय समय पर कुछ और चिकित्सा पद्दतीयों मे भी शिक्षा प्राप्त की और कुछ तकनीकी ज्ञान भी प्राप्त किया। जिसमे आयुर्वेद मे उपवैद और मर्दन क्रिया मे सर्टिफिकेट मुख्य हैं। अभी भी अपने जीवन को ज्ञान से और बेहतर बनाने हेतु आगे की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
विषय रूचि
बचपन से ही विनय पुष्करणा का विज्ञान और टेक्नॉलजी मे बहुत ध्यान रहा है अतः अक्सर कोई न कोई कार्यों मे स्वयं को व्यस्त रखते थे। पाठशाला मे भी विज्ञान के कई प्रयोग करने और अध्यापक द्वारा करवाए जाने वाले विज्ञान के सभी पाठ्यक्रमों के अधिक से अधिक ध्यान देना और एक एक अंक के लिए अधिक से अधिक प्रयास करना। अकसर उनका विज्ञान को ले कर 2 छात्राओं से प्रतिस्पर्धा रहती। जिसे देख कई बार विज्ञान के अधियापक राकेश जी कई बार चर्चा करते। वहीं कंप्युटर मे भी विनय बहुत ध्यान से पढ़ते और कई प्रोग्राम चलाने आसानी से सीख गए जिसमे उनका सबसे अधिक ध्यान पावर पॉइंट और फोटोस्केप पर रहता और पाठशाला मे पढ़ते पढ़ते ही उन्होंने मोज़िला के कुछ टेस्ट प्रोजेक्ट पढ़ने शुरू किए और वहाँ से कलर कोड जाने और साथ ही बेसिक एचटीएमएल भी।
पाठशाला समय की कुछ रोचक बातें
विनय पुष्करणा के पाठशाला समय से ही कुछ रोचक बातें काफी चर्चा मे रहीं जो उनके चरित्र और उनकी सोच को बहुत बेहतर तरीके से दर्शाती हैं:-
- उनकी पुरानी शिक्षिका से प्राप्त जानकारी मे पता चल जब विनय पाठशाला मे कक्षा मे दाखिला लेने गए थे तो प्रधानाचार्य द्वारा उनका नाम पूछने पर उन्होंने अपना नाम स्वयं ही विनय बता दिया जबकि उससे पहले उनको सौरव के नाम से जाना जाता था। यही नहीं उन्होंने अपने नाम के स्पेलिंग भी सबसे अलग बताए जिसमे अंग्रेजी मे VINEY लिखवाया गया जिसे देख कर प्रधानाचार्य भी आश्चर्य चकित थे।
- उनके एक मित्र के अनुसार जब विनय छठी कक्षा मे थे तो उनका झगड़ा एक सहपाठी से इस लिए हो गया था कि उस सहपाठी ने उनका बसता प्रथम डेस्क से उठा कर अंतिम डेस्क मे रख दिया था जबकि उनके समय प्रथम श्रेणी मे बैठने के लिए जल्दी पाठशाला आ कर डेस्क पर बैठना होता था जिस कारण विनय पाठशाला मे कक्षा के सभी विधयार्थियों से पहले ही आ जाते थे। जिस कारण दूसरे सहपाठी ने ऐसा किया और जिस कारण झगड़ा हुआ और बात प्रधानाचार्य तक पहुंची बाद मे उस सहपाठी ने क्षमा मांगी और फिर दोनों अच्छे दोस्त बन गए।
- विनय पुष्करणा का एक मित्र पाठशाला के आरंभ से ही बहुत खास रहा क्योंकि उस मित्र जिसका नाम कंवर था और उसकी चाची एक सरकारी हस्पताल मे कार्य करती थी जो अक्सर कंवर और उसकी चहेरी बहन को लेने आती थी। विनय बचपन से ही उनके साथ हस्पताल मे खेलने चला जाता और वहाँ देखता रहता कि क्या दवा है कैसे देते हैं आदि जिसके कारण विनय और कंवर की दोस्ती बहुत खास रही।
- एक बार कक्षा तीसरी मे एक छात्रा विनय के साथ पड़ती थी जिसका नाम गिन्नी महाजन था जिसको अक्सर बाकी सहपाठी भुआ भुआ कह कर चिड़ाते थे जिसका विरोध करने वाले विनय पुष्करणा पहले व्यक्ति थे जिन्होंने उस छात्रा के लिए अपनी कक्षा की अध्यापिका को शिकायत की और बाद मे प्रधानचार्या के समक्ष भी यह बात गई जिस पर मौजूदा प्रधानचार्या ने विनय को प्रार्थना सत्र मे सम्मानित किया।
- जब विनय दयानंद मॉडल पाठशाला से अग्रिम शिक्षा अंग्रेजी माध्यम मे प्राप्त करने के लिए आदर्श विद्या मंदिर मे गए तो वहाँ उनकों कई परेशानियाँ आईं जिसमे एक परेशानी थी वहाँ के पहले से पढ़ रहे बच्चों द्वारा विनय को अक्सर नीचा दिखाना और तंग करना जिसमे अक्सर कुछ लोग साइकिल की हवा निकाल देते थे कभी बस्ते से समान निकाल लेते थे तो कभी खाना खा जाते थे। जिस पर कई बार विनय ने शिकायत की परंतु पता नहीं चलता था कौन करता है ऐसा। तो एक दिन विनय ने दिमाग लगा कर अपनी पानी की बोतल मे मीठा सोडा डाल कर ले गया और उस दिन जिसने वो पिया अगले दिन बीमार हो गया तो ऐसे विनय ने खाना चुराने वाले व्यक्ति का पता चला लिया था। ऐसे ही बहुत चतुराई से साइकिल की हवा निकालने वाले का भी पता किया। अपनी सूझ बूझ और तेज दिमाग से विनय शिक्षकों का चहेता बना। इस समय विनय ने अपने जीवन की प्रथम कविता लिखी जो कि उसी पाठशाला के हालातों पर थी जो जो विनय ने महसूस किया उसको अपने शब्दों मे लिखने की कोशिश की और कक्षा आठवीं मे विनय ने वह कविता कई अधियापकों को सुनाई भी। जिससे अध्यापक उनको समझने लगे और धीरे धीरे कई अध्यापकों के विनय प्रिय हो गए जिसमे विज्ञान के अध्यापक राकेश जी, कंप्युटर के अध्यापक संजीव जी, अध्यापिका निशा महाजन, अध्यापिका साक्षी भी शामिल हैं।
- सच पर खड़ने वाले - अन्याय से लड़ने वाले बचपन से ही विनय थोड़ा सचाई पर चलने और अन्याय पर लड़ने वाले स्वभाव के हैं। जब विनय सातवीं कक्षा के विद्यार्थी थे तो कक्षा मे चौथे डेस्क पर अपने मित्र सागर और हर्ष के साथ बैठे थे, आदि छुट्टी के बाद दूसरा पीरीअड था पंजाबी का अधियापिका के आने मे देरी हो गई तो कक्षा के पीछे बैठे विद्यार्थियों ने छोर मचाना शुरू कर दिया जिसमे छात्राएं भी थी जैसे ही अधियापिका आईं उन्होंने देखा की छोर आ रहा था गुस्से मे उनकों लगा कि विनय और उनके साथ बैठे सहपाठी आवाज करे रहें हैं और उन्होंने सबको खड़ा कर दिया इस बीच फिर किसी की आवाज आई तो और कुछ विद्यार्थियों को खड़ा करके स्केल से मारने लगी जिसका विनय ने विरोध किया और मार खाने से मना कर दिया अधियापिका ने इसे अपना अपमान बताते हुए विनय को कक्षा से बाहर कर दिया। जिसको देख निशा महाजन अधियापिक आईं और माफी मांग बात खतम करने को बोलीं परंतु विनय ने कहा मैं बिना गलती मार नहीं खाऊँगा। फिर यह बात तत्कालीन उप प्रधानचार्या और प्रधानचार्य तक पहुंचीं जिस पर तफतीश की गई और उस पीरीअड के पश्चात कुछ छात्राओं और पीछे बैठे छात्रों ने माना की वो शोर कर रहे थे विनय और विनय के दोस्तों को अधियापिका ने गलत ही पकड़ लिया था।
- विनय के बात चीत करने के ढंग और प्रकृति से धीरे धीरे पाठशाला मे उनके सहपाठी छात्र विनय के मित्र बन गए और कुछ छात्राओं ने विनय को भाई बना लिया और राखी भी बांधी।
धर्म और संस्कार
विनय पुष्करणा बचपन से ही धार्मिक वातावरण मे रहें हैं मंदिर जाना और पूजा पाठ करना उनकी रुचि रही है। वह अक्सर अपने आस पास के दोस्तों और पड़ोसीयों के साथ मिल कर कई खेल खेला करते थे जिसमे कभी वह डॉक्टर बन कर लोगों की समस्याओं को सुनते और उनको दवाएं देते। दवाओं मे भी वो आस पास के पेड़ पौधों के पत्तों की गोलियां बना लेते थे। तो कभी मुहल्ले से चन्दा इकट्ठा करके सत्संग करना कभी लंगर लगा देना। यहाँ तक की पड़ोसियों की छत पर एक कमरे मे मंदिर तक बना रखा था। तथा बचपन से ही सभी से प्रेम और भाईचारे से रहते आए हैं। हालांकि विनय का अपने आस पड़ोस से कहीं दूर जाना नहीं होता था परंतु उनका अपने बड़े भाई से प्रेम और साथ बहुत गहरा रहा है। उनके पिता और माता सारा दिन कार्य कर परिवार को चलाने मे व्यस्त रहते तो माता अन्य कार्यों मे अथवा पढ़ाई करवाने मे व्यस्त रहती परंतु इसमे विनय के बड़े भाई उनके मित्र और प्रथम धार्मिक पथ पर चलाने वाले व्यक्ति रहे। सुबह जल्दी उठाना, न उठाने पर सोते को गोद मे उठा कर पानी के नीचे कर देना, अपने साथ मंदिर ले कर जाना। अक्सर नैतिक ज्ञान, संस्कार और अपने धर्म के बारे मे ज्ञान देते रहना।
धर्म गुरु यां भाई
विनय पुष्करणा यूं तो बचपन से ही अपने भाई के साथ कुछ धार्मिक पुस्तकों का सार सुनते और स्वयं भी पढ़ने की चेष्ठा करते रहते थे परंतु जिसमे रामायण, गीता और चालीसा शामिल हैं परंतु उनकी धार्मिक पुस्तकों को पढ़ने की रूचि थोड़ा कम थी और अक्सर जी चुराते रहे क्योंकि उनको पुस्तक पढ़ने से उन पुस्तकों का व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए अपने बड़े भाई से चर्चा करना और उसके माध्यम से ज्ञान प्राप्त करना अधिक अच्छा लगता रहा। धीरे धीरे वो अपने भाई के और करीब होते गए दोनों मे भाई भाई से अधिक एक विश्वास के रिश्ते के साथ गुरु शिष्य का एक रिश्ता विनय ने अपने आप बना लिया। फिर विनय प्रत्येक बात को तर्क वितर्क करके जानने की चेष्ठा करता और कई बार कई बातों पर कई दिनों तक चर्चा चलती। इस प्रकार से कहीं न कहीं विनय अपने बढ़े भाई को एक गुरु के रूप मे अपना गए और अपनी प्रत्येक समस्या मे उनसे ही बात करते कभी तर्क कभी सुझाव के रूप मे वह अपने गुरु से जुड़े रहते।
ब्राह्मण फोर्स का निर्माण
विनय जब कक्षा गियारवीं मे थे तो अपने बड़े भाई की शिक्षाओं के बहुत प्रभावित थे तो अक्सर उनके मन मे यह सवाल रहता कि सभी संप्रदाय संयुक्त हैं परंतु हमारा ब्राह्मण समाज कहीं न कहीं अलग अलग भिखरा हुआ है जिसके लिए उन्होंने आवाज उठाई और कई ब्राह्मण समुदायों से बात भी की और कई कार्य योजनाएं सांझा की परंतु जो लोग पदवी पर बैठे थे वो सुन कर भी अनसुना कर देते थे। तब विनय ने अपने ज्ञान को इस्तेमाल करते हुए अपने बढ़े भाई के मार्गदर्शन मे केवल 3 माह मे ब्राह्मण फोर्स नाम की एक विकि वेबसाईट बना ली जिसमे भारत के कोने कोने से लोग जुडने शुरू हुए और धीरे धीरे 10000 से अधीक लोग उसका हिस्सा बने जिसमे लोगों को वंश वृक्ष और गोत्रवली आदि भी उपलब्ध करवाई गई। जिसको देख कर जिला ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष ने विनय के नाम राज्य अध्यक्ष श्रीमान प्राशर के पास सुजाव भेजा और 10 दिनों मे उनकों नगर मे अध्यक्ष पद का नियुक्ति पत्र प्राप्त हुआ। जिसको मौजूदा अध्यक्ष द्वारा अमान्य करके कुर्सी पर बने रहने के लिए दूसरे संगठन से जोड़ लिया गया। जिसका विनय ने स्वागत करते हुए अपनी कार्यनीति उनको बताई और नगर मे शक्ति स्तम्भ की स्थापना करने की गुजारिश की जो कभी किसी के द्वारा नहीं किया गया। अपनी पाठशाला की शिक्षा पूर्ण कर विनय अग्रिम शिक्षा मे व्यस्त हो गए जिस कारण ब्राह्मण फोर्स का सारा कार्य उन्होंने आगे कुछ लोगों को सौंप दिया। [१]
मान्यताएं
समय के साथ विनय कई लोगों और धर्म आचार्यों के संपर्क मे आए क्योंकि उनका विषय योग भी एक आध्यात्मिक विषय भी है इस लिए उन्होंने आगे कुछ पुस्तकों का अध्ययन कर पाया की बहुत सी ऐसी बातें हैं जिनका ज्ञान लोगों को नहीं है और लोग एक अंधविश्वास मे ही गलत को भी सही कहते हैं और एक भ्रम मे अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। जिसमे उन्होंने कई छोटे छोटे कार्यक्रम करके लोगों को जागरूक किया। इसमे कुछ मुख्य विषय इस प्रकार हैं:-
- शिव लिंग क्या है और इसको लोगों के समक्ष किस प्रकार से प्रस्तुत किया जा रहा है।
- शिव लिंग पर दुग्ध क्यों छड़ाया जाता है और उसको किस प्रकार से कुछ लोग सनातन धर्म का अपमान करने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
- गाउमूत्र के लाभों को एक दुष्प्रचार से कुछ लोग गलत दिखाते हैं उसके तथ्यों को बताना।
- कुछ लोग यह समझते हैं कि नाम से राशि फल बनाता है और कुंडली काम करती है परंतु यह जन्म से होता है उसी के आधार पर सारी विद्या कार्य करती हैं।
- कुछ लोग समझते हैं ब्राह्मण, वैश्य, शूद्र और क्षत्रिय किस घर मे जन्म लेने से बनते हैं परंतु ज्योतिष विद्या ही इसका खंडन केवल कुंडली के आधार पर कर देती है जिसमे जन्म के समय के ग्रह ही व्यक्ति के वर्ण को दर्शा देता है और यह वर्ण व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे मे पहले ही बता देते हैं।
समाजिक छवि
समाजिक छवि मे विनय पुष्करणा अच्छा भाईचारा और प्रेम वाले व्यक्तित्व है। लोगों की मदद करना और उनको आगे ले कर आने मे अपना पूरा सामर्थ्य लगा देते हैं।
समाजिक संस्थाओं का निर्माण
विनय पुष्करणा कई समाजिक संस्थाओं का निर्माण किया परंतु किसी भी संस्था मे पद ग्रहण करने की लालसा उनको कभी नहीं रही बल्कि संस्था मे स्वयं को सदा पीछे रह कर अधिक कार्य करने की नीति से वह सदा कार्य करते हैं उनके द्वारा निर्मित संस्थाओ मे से कुछ संस्थाओं का ब्योरा इस प्रकार है :-
पुष्करणा रिसर्च एसोसिएशन फॉर नैच्रल ऐड
यह संस्था 2013 मे निर्मित हुए जिसमे योग और प्राकृतिक चिकित्सा को मुख्य रूप से आगे लाया गया। संस्था का कार्य योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यज्ञ चिकित्सा तथा ऐसी और भारतीय चिकित्सा प्रणालियों पर कार्य करना तथा लोगों को उनके प्रति ज्ञान देना था और उन विषयों पर और अनुसंधान करके इन प्रणालियों को और विकसित करना तथा आगे बढ़ाना है। यह संस्था पंजाब मे राज्य सत्र पर पंजीकृत एक संस्था है जिसमे इंजीनियर, होमीओपैथी डॉक्टर, लैब टेक्निशन आदि भी सदस्य हैं। वर्ष 2019 तक यह संस्था कार्यस्त रही उसके पश्चात 2020 मे इस संस्था को योग फ्रन्ट संस्था मे विलीन कर लिया गया क्योंकि संस्था के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पास समय का अभाव था अतः सबकी स्वकृति से संस्था को योग फ्रन्ट के अंदर विलीन कर इन्हीं कार्यों को अब अपराज्य परियोजना के अंतर्गत आगे चलाया जा रहा है। [२]
अखिल भारतीय योग चिकित्सक संघ
वर्ष 2012 मे यह संगठन योग चिकित्सकों की भलाई और एकता के लिए बनाया गया जिसका निर्माण विनय पुष्करणा ने संस्थापक के रूप मे किया जिसके प्रथम अध्यक्ष डॉक्टर अविनाश मिश्रा जी बने और यह संस्था भारत के मध्यप्रदेश मे पंजीकृत हुई, डॉक्टर अवनीश ढहेरिया और कुछ अन्य चिकित्सकों के साथ यह संस्था योग चिकित्सकों को पंजीकृत करने की मांग उठाने के लिए आगे बड़ी और इस संस्था के माध्यम से योग पंजीकरण के लिए मांग उठाई गई जिसके उपरांत सरकार द्वारा योग एवं प्राकृतिक चिकित्सकों का पंजीकरण आरंभ हुआ और उसके पश्चात से इस संस्था का कार्य सम्पन्न हुआ और अब इसको अब योग फ्रन्ट संस्था मे ही विलीन किया गया है। [३]
अखिल भारतीय विप्र संघ
यह प्रथम समाज सेवी संस्था जो पंजाब से आरंभ हुई और इसके माध्यम से लोगों को भारतीय विज्ञान और शिक्षा से परिचित करवाने का कार्य किया गया। जिसमे कई कार्यक्रम आयोजित करके लोगों को भारतीय संस्कृति के बारे मे जागरूक किया गया और साथ ही साथ कई खेल प्रतियोगिता करवाई गई। यह संस्था 2018 दिसंबर मे बनी और इनके अध्यक्ष विनोद कुमारी जी चयन हुईं आगे इस संस्था को बढ़ाते हुए कई और संस्थाओं से जोड़ा गया और आज यह संस्था ब्राह्मण फोर्स का एक हिसा बन गई है और ब्राह्मण फोर्स अब इस संस्था को संचालित करती है। [४]
गुरदासपुर योगासन स्पोर्ट्स एसोसिएशन
यह संस्था का निर्माण भी विनय पुष्करणा द्वारा किया गया था जिसमे कुछ योग प्रेमियों को रखा गया था परंतु जिस संस्था के अंतर्गत इस संस्था का कार्य चलना था उस पंजाब योगासन स्पोर्ट्स एसोसिएशन का ही पंजीकरण नहीं हो पाया था और संस्था के कार्य जिस प्रकार से चलने थे परंतु ऊपर की कमेटी का निर्माण और कई समस्याओं के कारण इस संस्था को 6 माह मे बंद कर दिया गया। जिसकी जानकारी जिला दफ्तर मे दे कर संस्था को बंद कर दिया गया। [५]
योग फ्रन्ट संस्था
यह संस्था का निर्माण 2020 ने किया गया था जैसे के ऊपर बताया की दो संस्थाओं के विलय से यह संस्था का निर्माण किया गया जिसके संस्थापक विनय पुष्करणा तो थे परंतु अध्यक्ष पद पर श्रीमति अमनदीप कौर और सचिव के रूप मे डिम्पल जी कार्यस्त हुए यह संस्था पहले राज्य स्तर पर कार्य कर रही थी परंतु 2021 मे संस्था का विस्तार करते हुए नई कमेटी का गठन हुआ और चुनावों के माध्यम से नई कमेटी बनाई गई जिस उपरांत इस संस्था को राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकरण करवाया गया और अब यह संस्था योग विषयों को ले कर कार्य कर रही है। [६]
सैफ्रन टाइगरस म्यूजिकल ग्रुप
सैफ्रन टाइगरस म्यूजिकल ग्रुप दोस्तों द्वारा बनाई एक संस्था है जिसमे से विनय पुष्करणा एक सदस्य रहे जब यह संस्था अपने आरंभिक स्तर पर थी यह संस्था देशभक्ति और सनातन योद्धाओं पर पंजाबी गीत लिखती और उनको रिकार्ड करके लॉन्च करती है। 2011 मे यह संस्था अमृतसर मे भगवान परशुराम मंदिर के आँगन मे बैठ कर बनी। [७]
लोगों से संपर्क और विचारधारा
अपने मैत्री स्वभाव और मधुर भाषा शैली के कारण विनय पुष्करणा के सभी प्रकार के लोगों से अच्छे संबंध हैं। उनकी विचारधारा के सबके लिए प्रेम सम्मान और आदर रहता है। उनके लोगों से संबंध राजनैतिक अथवा संसथात्मक संबंधों तक सीमित नहीं हैं वह व्ययक्तिगत संबंध रकते हैं जिससे उनकी छवि लोगों के प्रति प्रेम और भाईचारा दर्शाती है। उनके व्यक्तित्व की कुछ रोचक बातें:-
- वह अपनी जीवन संगिनी को छोड़ सभी महिला शक्ति को बहन समझते हैं और उनको बहन कह कर ही बुलाते हैं।
- यह गाली गलोच नहीं करते और न ही ऐसे लोगों की संगति मे बैठना पसंद करते हैं।
- वह अश्लीलता और अभद्र भाषा के विरोध मे सदैव रहे हैं अतः इसी लिए वह प्रेम और मिठास से सबके साथ ववहार करते हैं।
- वह किसी प्रकार के मादक पदार्थों का सेवन नहीं करते और न ही ऐसे लोगों को पसंद करते हैं।
- उनके मित्र अगर कोई नशा अथवा गलत भाषा का उचारण करते उन्हें दिखाई दे तो वह पहले तो उनको समझाने और सही राह पर लाने की चेष्टा करते हैं अगर नहीं समझे तो उनसे दूरी बनाने मे देर नहीं लगाते। हालांकि अपना रिश्ता निभाने मे भी पीछे नहीं हटते और दोस्तों के लिए सदैव हाथ बढ़ाने मे रहते हैं।
- वह धर्म को मानने वाले व्ययक्ति हैं और सत्य प्रेमी हैं परंतु उनका मानना है मान्यताएं और धार्मिक कट्टरता मनुष्य को सत्य से दूर कर देती है अतः वह हर नेक इंसान से अपनी दोस्ती करते हैं बिना धर्म जाति और कुल देखे।
विबुध: का निर्माण
वर्ष 2014 मे विबुध: नाम से योग व्यवसाय सरकार के पास पंजीकृत करवाया गया जिसमे योग शिक्षा, योग उपचार, आदि कई सेवाएं पंजीकृत करवाई गई। इस संस्थान मे विनय पुष्करणा सह-संस्थापक हैं। यह पंजीकरण के साथ ही विबुध: के नाम से योग शैक्षिक संस्थान चलाया गया जहां योग मे डिप्लोमा आरंभ किया गया और 10 बच्चों का एक बैच आरंभ हुआ जिसके पश्चात कई प्रतिष्ठित पाठशालाओं मे योग संगोष्ठी की गईं और लोगों को योग के लाभों के साथ साथ कई विषैले खाद्य पदार्थों के बारे मे बताया गया और उनकी जानकारी एक एंड्रॉयड ऐप्लकैशन के माध्यम से उपलब्द भी करवाई। विबुध:संस्था द्वारा 3 निशुल्क शिविर भी आयोजित किए गए और योग स्टूडियो के माध्यम से लोगों का उपचार शुरू किया गया। विबुध:योग संस्थान न्यूनतम शुल्क मे उच्चतम योग सेवाएं उपलब्द करवाता है। [८]
खेल कूद
सभी बच्चों जैसे विनय पुष्करणा की बचपन से ही बहुत रूचि रखते थी। उन्होंने बचपन्न मे कई खेल खेले और बहुत सारे मित्र बनाए।
क्रिकेट
बचपन मे विनय का क्रिकेट मे बहुत मन लगता था और वह अक्सर अपने बढ़े भाई राजन के साथ क्रिकेट खेलते। अधिकतर क्रिकेट दोनों अपने घर के आँगन मे ही खेलते थे, कभी कभी उनके बढ़े भाई राजन उनकों अपने साथ खेल के मैदान मे भी साथ ले जाया करते थे जिससे विनय का क्रिकेट मे अच्छा मन बना और धीरे धीरे उनके अपने मित्र बन गए जो उनके साथ क्रिकेट खेलने खेल के मैदान मे जाते थे। एक बार अचानक उनके नाक पर बाल से घहरी चोट आ गई जिसके कारण कुछ माह उन्होंने क्रिकेट नहीं खेला।
शतरंज
पाठशाला के पश्चात अधिकतर समय विनय पुष्करणा का अपने घर और अपने बढ़े भाई के साथ ही निकलता, और क्रिकेट मे चोट लगने के कारण जब विनय पुष्करणा का बाहर जाना कुछ समय के लिए मना था तो उस समय विनय और उनके बढ़े भाई राजन दोनों शतरंज खेला करते थे जहां से विनय ने शतरंज खेलना आरंभ किया और कुछ ही महीनों मे अच्छा शतरंज खेलना आरंभ कर लिया फिर विनय अपने भाई के दोस्तों के साथ भी शतरंज खेलना शुरू कर गए और जिससे उनका स्वयं मे और विश्वास बढ़ा और उन्होंने शतरंज खेलना शुरू कर दिया।
बैडमिंटन
अपने भाई के दोस्तों के साथ रहने के कारण विनय प्रत्येक वो खेल खेलता जो वो सब खेलते थे। अतः धीरे धीरे विनय पुष्करणा अपने भाई के साथ बैडमिंटन खेलना आरंभ कर गए। और धीरे धीरे उन्होंने बैडमिंटन को अपना पसंदीदा खेल बना लिया और पाठशाला और पाठशाला के दोस्तों के साथ पाठशाला के पश्चात भी बैडमिंटन खेलना आरंभ हो गया।
अन्य खेल
विनय पुष्करणा ने इसके इलावा भी कई खेल खेले हैं जैसे
- कंचे - कुछ समय तक विनय अपने मुहल्ले के कुछ दोस्तों के साथ कंचे खेलने भी जाते थे परंतु बाद मे बढ़े भाई के मना करने के बाद कंचे खेलने बंद कर दिए।
- गिल्ली डंडा - अपने आस पड़ोस के दोस्तों के साथ गिल्ली डंडा भी खेला है।
- बंदरकीला, पिट्ठू जैसे खेल भी खेले हैं।
- साइकिल रेस भी करते रहे हैं।
मित्रगण और सहयोगी
विनय पुष्करणा के कई मित्र हैं जैसे के पहले बताया उनकी भाषा शैली और स्वभाव के कारण उनका कभी किसी से मतभेद नहीं रहा, सबका सम्मान और सबको प्रेम करने वाले व्यक्तित्व होंने के कारण वह सबसे अच्छे संबंध स्थापित कर लेते हैं। उस एक लंबीं सूची मेसे कुछ मित्रों, मार्गदर्शकों की सूची इस प्रकार है:-
सहपाठी मित्रों की जानकारी
- दयानंद पाठशाला
- कंवर
- गुरविंदर पाल
- राहुल महाजन
- राहुल दुग्गल
- विकास शर्मा
- दीपक कुमार
- मंदीप सोहल
- सुरिंदर बेदी
- सुमित भाटिया
- गौरव गुप्ता
- दीपक कुमार
- परदीप कुमार
- आदर्श विद्या मंदिर पाठशाला
- सागर भाटिया
- नरिंदर सिंह
- हर्ष शर्मा
- निशान सिंह
- ताजिंदर सिंह
- जगजीत सिंह
- विवेक पाठक
- सुनील शर्मा
- शिवा महाजन
- हर्षित महाजन
- संयम महाजन
- हरपाल सिंह
- संजीव कुमार
- अनिकेत बजाज
- चेतन शर्मा
- अरुण तेजपाल
- गुणताश सिंह
- संदीप सिंह
- लखबीर दास
- दसवीं के पश्चात मित्र
- प्रमोद अरोड़ा
- डॉ वरुण कालिया
- डॉ वरिंद्र गोराया
- डॉ अभिजीत सिंह
- डॉ मिथलेश शर्मा
- डॉ इमरान
- मोहम्मद शरीफ
- डॉ अविनाश मिश्रा
- डॉ अवनीश ढहेरिया
- डॉ आकाश बिसोने
- डॉ
- योगाचार्य हर्ष भारद्वाज
- योगाचार्य मुकेश कश्यप
- योगाचार्य कुलदीप वर्मा
- अनिकेत बजाज
- चेतन शर्मा
- अरुण तेजपाल
अध्यापकों की जानकारी
- मोनिका शर्मा
- ऋतु भाटिया
- अंजू
- नीलम सेठ
- निशा महाजन
- वरिंद्र कौर (विनदे)
- ज्योति महाजन
- पूजा प्रभाकर
- मिनी कौर
- राकेश पूरी
- प्रदीप सहगल
- विपन प्रशार
- सविता पुष्करणा
- सुनीता शर्मा
- साक्षी गुप्ता
- पवन शर्मा
- धर्मपाल शर्मा
- ज्योति महाजन - केमिस्ट्री
- सविता छाबरा
- हरप्रीत कौर
- मंदीप कौर
- सुखपाल कौर
- संजीव बलघन
- संजीव विज
- रितेश पुष्करणा
- अशोक कुमार गुप्ता
- प्रीति महाजन
- सिमरनजीत कौर
- कुलविंदर सिंह
- रमिंदर चीमा
- जोगिंदर शर्मा
- डॉ ईश्वर भारद्वाज
- डॉ गुलाब तिवानी
- डॉ रेणुका तिवानी
- डॉ एस माइकल राज
- डॉ रूपा रूपवानी
- डॉ गोपाल गिरधर
- बलजीत कौर खहरा
- डॉ अनूप गखड़
मार्गरदक्षकों की जानकारी
- राजन पुष्करणा
- मनीषा शर्मा
- गौरव कृषण शर्मा
- डॉ एस माइकल राज
- वरिंद्र कौर (विनदे)
कुछ समाजिक/संगठनात्म मित्र
प्राप्त जानकारी अनुसार अभी हमारे पास निमन्नलिखित जानकारी ही उपलब्द है।
- अभिषेक भट्टी
- डॉ कमाल ज्योति
- डॉ कमाल अग्रवाल
- डॉ पवन शर्मा
- वरिंद्र प्रभाकर
- सुखप्रीत भाटिया
- विजय कुमार
- गीता शर्मा
- अनिल अरोड़ा
- रूपिन्दर सिंह बाजवा
- डॉ वीनू मल्होत्रा
- डॉ नरेंद्र बेदी
- डॉ बिक्रमजीत सिंह बाजवा
- राजन शर्मा
- वरुण शर्मा
- मुकुल शर्मा
- रोशन कुमार पाठक
- विकास शर्मा
- मुकेश गोस्वामी
- रूपा रावत
- विपनदीप थापर
- आदि
सम्मान
विनय पुष्करणा द्वारा प्राप्त सम्मान की सूची इस प्रकार है:-
- विश्व आयुर्वेद परिषद द्वारा उत्तम योगाचार्य सम्मान प्राप्त हुआ।
- विनय पुष्करणा को डॉ अश्वनी भार्गव जी द्वारा दुर्गीयना मंदिर के प्रांगण मे सम्मानित किया गया।
- रन फॉर योग मेराथान प्रमाणपत्र द्वारा सम्मानित किया गया|
- गुरु कुल काँगड़ी विश्वविद्यालय तथा उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी के बैनर तले प्रोग्राम करवाया गया और डॉ ईश्वर भारद्वाज तथा राजयकीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा सम्मानित किया गया।
- योग निर्णय पुरस्कार।
- आर डी खोसला डी ए वी मॉडेल पाठशाला द्वारा दो बार बेस्ट जज्मैंट अवॉर्ड द्वारा सम्मानित किया गया।